महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना, ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” आज महात्मा गांधी जी की पुणयतिथि है। देश की आजादी की लड़ाई में ''महात्मा गांधी जी'', एक ऐसा नाम है, जिसे न किसी पहचान की जरूरत है और न ही किसी व्याख्या की। उनकी श्रेष्ठता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं, कि जिन ब्रिटिशों के खिलाफ उन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, उसी देश ने गांधी जी के निधन के 21 साल बाद, उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया। एक सामान्य परिवार में जन्में, महात्मा गाँधी जी अपने असाधारण कार्यों और अहिंसावादी विचारों से पूरी दुनिया के मार्गदर्शक बन गए। पोरबंदर रियासत के दीवान, करमचंद गांधी जी के घर में 2 अक्तूबर, 1869 को जन्मे, महात्मा गांधी, अपने पिता की चौथी संतान थे। साल 1959 में गांधी जी की याद में भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में, गांधी स्मारक संग्रहालय बनाया गया था। इसमें उनके खून से सने हुए वो कपड़े संभालकर रखे गए हैं, जो उन्होंने उस वक्त पहने थे, जब पूर्व बिरला हाउस के बगीचे में 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। इस दिन, को भारत, हर साल, राष्ट्रीय शहीद दिवस मनाता है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी जी को, गोली मारकर सही किया। किन्हीं कारणों की वजह से, गांधी जी की आलोचना करते हैं। लेकिन देश के लिए उनके त्याग, समर्पण, निष्ठा और आम लोगों के प्रति उनके स्नेह के बावजूद, क्या उन्हें गलत ठहराना सही है?
जाहिर सी बात है, कोई भी इंसान बिलकुल परफेक्ट नहीं होता। अगर आज गुलामी के उस बुरे दौर को याद करें, तो इतिहास के पन्नों पर लिखे, भारतीयों के दर्द की दास्तां हमें रुला देती है। हमारे कई और क्रांतिकारियों सहित, महात्मा गांधी जी ने भी उस समय को जिया था। भारत पर उस वक्त, गुलामी और विभाजन की 2 तलवारें लटक रही थीं। परिस्थितियों के हिसाब से क्या गलत निर्णय लिए गए या कौन से सही, इस बात का आज, हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं। और उससे भी बड़ी बात, कोई भी इनसान परफेक्ट नहीं होता। लेकिन उनमें कोई न कोई ऐसी क्वालिटी तो जरूर थी, जिसके चलते लोग उन्हें फॉलो करते थे। न सिर्फ भारत के, बल्कि पूरी दुनिया के टॉप नेताओं से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक। वो गलत थे या नहीं, यह हमारी विचारधारा पर निर्भर करता है। कुछ लोग नाथूराम को सही मानते हैं, वो उनके विचार हैं। सभी की अपनी सोच है उन्हें, अपने विचार व्यक्त करने की आजादी है। लेकिन देश की आजादी में उनका योगदान कभी नहीं भूला जा सकता। आंख के बदले आंख, पूरी दुनिया को अंधा बना सकती थी। इसलिए जोश और मर-मिटने के जज्बे के साथ-साथ भारत को, एक शांत और अहिंसक आंदोलन की भी जरूरत थी। बिहार के किसान ने उन्हें बापू कहा, नेताजी सुभाष चन्द्रबोस ने राष्ट्रपिता और रविंद्रनाथ टैगोर ने ही उन्हें महात्मा कहकर बुलाया था। उस वक्त वो लोगों के दिलों में रहते थे! वास्तव में लोग तो भगवान में भी कमियां निकालते हैं। शायद यही भारत है।
हमारी आने वाली पीढि़यों ने गांधी जी को नहीं देखा है। हम जिस तरीके से अपने इतिहास को, अपनी फ्यूचर जेनरेशन के आगे रखेंगे, वो वही समझेंगे। दूसरों को जज करने की हमारी पुरानी आदत है। और इसलिए, आज हम बिना किसी को जाने, पहचाने गलत बोल देते हैं। क्या आपके परिवार के किसी सदस्य की किसी खामियों के चलते आप उन्हें, गलत मान लेंगे। क्या उनकी तमाम अच्छाइयों की वैल्यू नहीं करेंगे। वास्तव में, करुणा और शांति के गांधी जी के दृष्टिकोण को, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा जैसे कई दुनिया के बड़े नैतिक और राजनीतिक नेताओं ने फॉलो किया था। तो क्या आज हम, गांधी जी की आलोचना, करके, अपनी सोच और विचारों को प्रदर्शित कर रहे हैं। 21वीं सदी के लोगों के पास अभी भी गांधीवाद से सीखने के लिए बहुत कुछ बाकी है। दूसरों के बारे में गलत बोलना, उनका तिरस्कार करना, भारत की सभ्यता नहीं। यह वो देश है, जो हर किसी का सम्मान करता है, हमारी संस्कृति और हमारे धर्म में किसी की मृत्यु के बाद, उनकी शांति की कामना की जाती है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस महान शख्सियत को खोने के बाद, आज भी हम उनका अनादर करते हैं। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी, आज गांधी जी की पुण्यतिथि पर, उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है।